Sunday, September 12, 2010

किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी


चरागों को आँखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी 
किसी मोड़ प
फिर मुलाकात होगी .

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